आलस छोड़ो सफलता गले लगा लेगी – प्रेरणादायक हिंदी कहानी

आलस छोड़ो असफलता से सफलता तक का सफर | Motivational Story in Hindi

किसी छोटे से गाँव में अर्जुन नाम का एक युवक रहता था। अर्जुन बचपन से ही बहुत होशियार और प्रतिभाशाली था। उसकी समझ इतनी तेज़ थी कि लोग कहते – “अगर अर्जुन मन लगाकर पढ़े और काम करे, तो ज़रूर बड़ा आदमी बनेगा।” लेकिन अर्जुन की एक बहुत बड़ी कमजोरी थी – आलस।

वह हर काम को टाल देता था। सुबह जल्दी उठने के बजाय देर तक बिस्तर पर पड़ा रहता। पढ़ाई के समय मोबाइल चला लेता, और काम करने की बारी आए तो कह देता – “कल कर लूंगा।” गाँव वाले उसे अक्सर समझाते कि आलस इंसान की सबसे बड़ी दुश्मन आदत है, लेकिन अर्जुन की आदतें बदलने का नाम ही नहीं लेती थीं।

गाँव का आलसी लड़का अर्जुन जो मेहनत से सफलता पाता है

पहला मोड़ – चेतावनी का बीज

एक दिन गाँव में एक बुजुर्ग संत आए। लोग दूर-दूर से उनसे आशीर्वाद लेने पहुँचे। अर्जुन भी उनके पास गया और बोला –
“बाबा जी, मैं बहुत बड़ा आदमी बनना चाहता हूँ। लेकिन समझ नहीं आता कि कैसे?”

संत ने मुस्कुराकर कहा –
“बेटा, सफलता दूर नहीं होती, इंसान ही आलस की चादर ओढ़कर बिस्तर पर पड़ा रहता है। उठो, मेहनत करो और देखो किस तरह सफलता खुद चलकर तुम्हें गले लगाएगी।”

यह बात अर्जुन के दिल को तो छू गई, लेकिन उसकी आदतें इतनी गहरी जमी थीं कि अगले ही दिन फिर से वह देर तक सोया रहा और काम टालता रहा।


दूसरा मोड़ – असफलता का स्वाद

गाँव में एक बड़ा इम्तिहान हुआ, जिसमें पास होने पर युवाओं को शहर जाकर नौकरी करने का अवसर मिलने वाला था। अर्जुन के दोस्तों ने मेहनत करके तैयारी की। अर्जुन ने भी शुरुआत में किताबें खोलीं, लेकिन आलस के कारण लगातार टालता रहा।

इम्तिहान के दिन वह आधे-अधूरे ज्ञान के साथ गया और नतीजा वही निकला – वह असफल हो गया।
जब उसके सभी दोस्त शहर जाकर नौकरी करने लगे, तब अर्जुन अकेला रह गया। उस दिन उसने पहली बार अपने आलस की वजह से अपनी जिंदगी को पिछड़ते देखा।

गाँव का आलसी लड़का अर्जुन जो मेहनत से सफलता पाता है

तीसरा मोड़ – प्रेरणा की आग

कुछ महीनों बाद वही संत गाँव से फिर गुजरे। उन्होंने अर्जुन को उदास देखा और पूछा –
“क्या हुआ बेटा?”

अर्जुन ने रोते हुए कहा –
“बाबा जी, मैं असफल हो गया। मेरे सभी दोस्त आगे बढ़ गए, और मैं यहाँ फंसा रह गया। अब मुझे समझ आया कि गलती मेरी है, लेकिन आदत कैसे बदलूं?”

संत ने अर्जुन को एक उदाहरण दिया –
“बेटा, नदी का पानी हमेशा बहता है, इसलिए वह कभी सड़ता नहीं। लेकिन तालाब का ठहरा हुआ पानी धीरे-धीरे गंदा हो जाता है। इंसान की ज़िंदगी भी ऐसी ही है। अगर तुम बहते रहोगे यानी काम करते रहोगे, तो ताजगी और सफलता बनी रहेगी। लेकिन अगर आलस में पड़े रहोगे, तो जिंदगी गंदे तालाब की तरह सड़ जाएगी।”

ये शब्द अर्जुन के दिल में आग की तरह उतर गए। उसने उसी क्षण ठान लिया कि अब वह आलस को हमेशा के लिए छोड़ देगा।


गाँव का आलसी लड़का अर्जुन जो मेहनत से सफलता पाता है

चौथा मोड़ – मेहनत की शुरुआत

अगले दिन से अर्जुन ने खुद के लिए एक नया नियम बनाया –

  • सुबह सूरज उगने से पहले उठना।
  • रोज़ाना कम से कम 6 घंटे पढ़ाई करना।
  • हर काम को उसी समय पूरा करना, बिना टाले।

शुरुआत में उसे बहुत कठिनाई हुई। कई बार नींद खींचती, शरीर भारी लगता, लेकिन अर्जुन ने संत के शब्द याद करके खुद को अनुशासन में रखा। धीरे-धीरे आलस की जगह मेहनत ने ले ली।


पाँचवां मोड़ – सफलता की पहली सीढ़ी

गाँव में फिर से प्रतियोगी परीक्षा की घोषणा हुई। इस बार अर्जुन ने जी-जान लगाकर तैयारी की। उसके दोस्त और गाँव वाले भी उसकी लगन देखकर चौंक गए। परीक्षा का दिन आया और इस बार अर्जुन आत्मविश्वास से भरा हुआ था।

नतीजा निकला – अर्जुन पूरे जिले में प्रथम स्थान पर आया। उसकी मेहनत रंग लाई। गाँव में हर जगह उसका नाम गूंजने लगा।


गाँव का आलसी लड़का अर्जुन जो मेहनत से सफलता पाता है

अंतिम मोड़ – जब सफलता गले लगी

शहर जाकर अर्जुन ने आगे की पढ़ाई की और मेहनत के दम पर बड़ी नौकरी हासिल की। कुछ वर्षों बाद जब वह अपने गाँव लौटा, तो लोग उसे देखकर गर्व से कहते –
“यह वही अर्जुन है, जो कभी आलस में डूबा रहता था। लेकिन आज उसने अपने जीवन से आलस को निकालकर सफलता को गले लगा लिया।”

गाँव के युवा अर्जुन से प्रेरणा लेने लगे। अर्जुन ने भी उन्हें यही मंत्र दिया –
“दोस्तों, आलस कोई छोटी कमजोरी नहीं, यह इंसान की सफलता का सबसे बड़ा दुश्मन है। अगर तुम आलस छोड़ दोगे, तो मेहनत तुम्हें सफलता के दरवाज़े तक ले जाएगी और फिर सफलता खुद तुम्हें गले लगा लेगी।”


कहानी से सीख (Moral of the Story)

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि:

  1. आलस समय की बर्बादी है – जो पल निकल जाते हैं, वे कभी वापस नहीं आते।
  2. मेहनत का कोई विकल्प नहीं – चाहे कितनी भी कठिनाई हो, मेहनत हमेशा रंग लाती है।
  3. अनुशासन सफलता की कुंजी है – छोटे-छोटे अच्छे आदतें ही बड़ी उपलब्धियों का कारण बनती हैं।
  4. सोच बदलो, जीवन बदल जाएगा – अगर हम आलस छोड़ दें, तो हमारी क्षमता हमें ऊँचाइयों तक पहुँचा सकती है।

👉 दोस्तों, अगर अर्जुन जैसा साधारण युवक सिर्फ आलस छोड़कर सफलता की ऊँचाई पर पहुँच सकता है, तो आप क्यों नहीं?
याद रखिए –
“आलस छोड़ो – सफलता गले लगा लेगी।”

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